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________________ वक्ष० ३ सूत्र ४२ ६८५ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची ३६ दुषमा-दुषमा काल का विस्तृत वर्णन ३७ क- उत्सर्पिणी काल ख- दुषम-दुषमा काल का वर्णन ग- दुषमा का काल वर्णन ३८ क- उत्सर्पिणी के दुषम काल में--पंच मेघ वर्षा १. पुष्कर संवर्तक मेघ वर्षा वर्णन २. क्षीर मेघ ३. घृत मेघ ४. अमृत मेघ ५. रस मेघ ३६ क- मांसाहार का सर्वथा निषेध ख- मांसाहारियों की छाया के स्पर्श का निषेध ४० क- उत्सपिणी के दुषम-दुषमा काल का वर्णन ख- उत्सर्पिणी के सुषमा काल का वर्णन ग- , सुषम-सुषमा काल का वर्णन तृतीय भरत चक्रवर्ती वक्षस्कार ४१ क. भरत नाम होने का हेतु विनीता नगरी वर्णन ख- विनीता राजधानी के स्थान का निर्णय ग- का आयात विस्तार दिशा घ- का आयाम-विष्कम्भ भरत चक्रवर्ती वर्णन ख- देह वर्णन ग- बत्तीस प्रशस्त लक्षण घ. भरत चक्रवर्ती की कुछ उपमाएं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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