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________________ वक्ष० १ सूत्र १३ ६७७ जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति-सूची ढ- विद्याधर श्रेणियों के दोनों पार्श्व में दो पद्मवर वेदिका, दो वनखण्ड ण- पद्मवर वेदिकाओं की ऊँचाई, विष्कम्भ. त. वनखण्डों का आयाम-विष्कम्भ थ- दक्षिण में विद्याधरों के नगर द- उत्तर में " ध. विद्याधर राजाओं का वर्णन न- विद्याधर श्रेणियों का वर्णन प- आभियोगिक श्रेणियों का वर्णन फ- व्यन्तर देवों का क्रीडास्थल । ब. शक्रेन्द्र के आभियोगिक देवों के भवन भ- भवनों का वर्णन म- आभियोगिक देवों का वर्णन य- " की सिथित र. आभियोगिक श्रेणियों से शिखर की दूरी. ल- शिखर का आयत-विस्तार. विष्कम्भ आयाम. व- " की पद्मवर वेदिका और वनखण्ड श- शिखर तल का वर्णन. व्यन्तर देवों का क्रीडास्थल ष- वैताढ्य पर्वत पर नो कूट. १३ क- सिद्धायतन कृट का स्थान ख. " की ऊँचाई के मूल,मध्य और ऊपर की परिधि के मूल, मध्य और ऊपर की परिधि ङ- पद्मवर वेदिका-वनखण्ड वर्णन च- सिद्धायतन का अायाम-विष्कम्भ और ऊँचाई छ- " के तीन द्वारों की ऊँचाई और धिष्कम्भ ज- देवछंदक का आयाम-विष्कम्भ और ऊँचाई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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