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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची ६७६ १० क- भरत क्षेत्र का स्थान, दिशा निर्णय वर्णन, विष्कम्भ ख- भरत क्षेत्र का आयताकार और विस्तार ग- भरत के उत्तर-दक्षिण का संस्थान घ- भरत के ६ विभाग ङ - भरत के प्रधान दो विभाग ११ क- दक्षिणार्ध भरत का स्थान, दिशा निर्णय, आयताकार और विस्तार संस्थान ख- दक्षिणार्ध भरत के तीन विभाग और विष्कम्भ ग- दक्षिणार्ध भरत की जीवा का आयाम के धनुष्पृष्ठ की परिधि का स्वरूप के मनुष्यों का संघयण- संस्थान. शरीर की आयु और गति ऊँचाई. १२ क- वैताढ्य पर्वत का स्थान दिशा निर्णय. आयत विस्तार. ख- वैताढ्य पर्वत की ऊँचाई, उद्वेध और विष्कम्भ ग की बाहा का आयाम घ की जीवा का आयाम ङ के की परिधि घ - ङ च च "3 21 "" Jain Education International " " 77 " 37 " छ के वनखण्ड का विष्कम्भ ज - के पूर्व, पश्चिम में दो गुफा - गुफाओं का आयत. विस्तार. आयाम - विष्कम्भ ञ - के कपाट की ऊँचाई ट के नाम, दो देव, देवों की स्थिति ठ - वैताढ्य पर्वत के दोनों पार्श्व में दो विद्याधर श्रेणियां s - विद्याधर श्रेणियों का स्थान. आयत. विस्तार विष्कम्भ 37 " वक्ष० १ सूत्र १२ धनुपृष्ठ की पद्मवर वेदिका का विष्कम्भ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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