SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आचारांग सूची ग घ ११५ क ख ११६ क by If ख ११७ क १२० १२१ ख ११८ क ख ११६ सूत्र संख्या ह १२२ क ख ग घ ४२ श्रु०२, अ०३ ३०२ सू० १२२ बीज आदि वनस्पतिवाले मार्ग में न चलना अन्य मार्ग के अभाव में स्थावर जीवों की रक्षा करते हुए चलना म्लेच्छ आदि के उपद्रव वाले मार्ग से विहार न करना अन्य मार्ग से विहार करने का विधान अराजक आदि प्रदेशों में होकर विहार करने का निषेध अन्य मार्ग से विहार करने का विधान अनेक दिनों में लांघने योग्य अटवी में होकर जाने का निषेध ऐसी अटवी में होकर जाने से होनेवाली हानियां कीतादि दोष युक्त अथवा सुदूर गामिनी नौका में बैठने का निषेध तिर्यग्गामिनी नौका में बैठने का विधान व बैठने की विधि नाव में बैठने की विधि कर्तव्याकर्तव्य द्वितीय उद्देशक नाव में बैठने के पश्चात् किसी के उपकरण ग्रहण न करे अधिक भार के कारण यदि कोई मुनि को नौका से नीचे गिरावे तो समाधिभाव रखने का उपदेश नौका से गिराए जाने के पश्चात् शरीर के अवययों का परस्पर स्पर्श न करे Jain Education International डुबकी न लगावे. कान आदि में पानी न जाने दे निकलने में कठिनाई मालूम दे तो उपधि का परित्याग करे, किनारे पहुँचने पर ज्यों का त्यों खड़ा रहे गीला शरीर सूखने पर आगे विहार करे For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy