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________________ १२५ श्रु०२, अ०३, उ०३ सू० १२७ ४३ आचारांग-सूची १२३ क बात करते हुए चलने का निषेध पानी के अल्प-प्रवाह को पार करना १२४ क पानी को पार करने की विधि पानी को पार करते समय अवयवों का परस्पर स्पर्श निषेध ठण्डक के लिये गहरे पानी में जाने का निषेध, किनारे पहुंचने पर ज्यों का त्यों खड़ा रहना गीला शरीर सूखने पर आगे विहार करना कीचड़ से भरे हुए पावों को हरे घास से घिसते हुए चलने का निषेध हरे घास रहित मार्ग में चलने का विधान किले की ट्रटी दिवार आदि मार्ग में हो तो उस मार्ग से जाने का निषेध अन्य मार्ग के अभाव में उस मार्ग से जाना पड़े तो उसकी विधि धान्य की गाडियां आदि जिस मार्ग से जा रही हो उस मार्ग से जाने का निषेध जिस मार्ग में छावनी हो उस मार्ग से जाने का निषेध अन्य मार्ग के अभाव में-उस मार्ग से जाते समय यदि उपसर्ग हो तो समभाव रखने का उपदेश १२६ पथिकों के प्रश्नों का उत्तर न देना सूत्र संख्या ७ तृतीय उद्देशक १२७ क गढ़, किला आदि दिखाते हुए चलने का निषेध ___ ख कच्छ आदि दिखाते हुए चलने का निषेध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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