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श्रु०२, अ०३, उ०१ सू०११४ ४१
आचारांग-सूची १०२ ४ चतुर्थी पडिमा--शिला या काष्ट का संस्तारक लेना
अन्यथा उत्कटुक आसनादि से रात्रि व्यतीत करना १०३ पडिमा धारी की निन्दा का निषेध
जीव-जन्तु सहित संस्तारक प्रत्यर्पित नहीं करना १०५ जीव-जन्तु रहित संस्तारक प्रत्यर्पित करना १०६ मल-मूत्र डालने की भूमि का देखना, न देखने से होनेवाली
हानियाँ आचार्य आदि के शय्यास्थल को छोड़कर अन्यत्र शय्या
स्थल देखना १०८ क जीव-जन्तु रहित शय्यापर बैठना
बैठने से पूर्व शरीर का प्रमार्जन करना एक-दूसरे का परस्पर स्पर्श न हो ऐसी शय्या पर सोना मुँह ढककर उच्छ्वास आदि लेना मलद्वार के ऊपर हाथ देकर अपानवायु छोड़ना
सम-विषम शय्या में समभाव रखना सूत्र संख्या २४
तृतीय इर्या अध्ययन प्रथम उद्देशक
वर्षाकाल में विहार का निषेध ११२ क
अयोग्य स्थान में वर्षावास न करना योग्य
करना ११३ वर्षाकाल के पश्चात् भी मार्ग में जीव जन्तु अधिक हों तो
विहार न करना ११४ क जीव-जन्तु वाले मार्ग में न चलना
अन्यमार्ग के अभाव में त्रसजीवों की रक्षा करते हुए
१११
चलना
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