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________________ पद २६,३० सूत्र १ ६६७ प्रज्ञापन-सूची १५ चौवीस दण्डक में ज्ञानी और अज्ञानी जीव आहारक अनाहारक १६ क- चौवीस दण्डक में सयोगी-यावत्-अयोगी जीव आहारक अनाहारक ख- चौवीस दण्डक में साकारोपयुक्त अनाकारोपयुक्त जीव आहारक-अनाहारक ग- चौवीस दण्डक में सवेदी-यावत्-नपुसंक वेदी जीव आहारक अनाहारक घ- अवेदी सिद्ध अनाहारक १७ क- चौवीस दण्डक में सशरीरी जीव-यावत्-कार्मण शरीरी आहारक ख- अशरीरी जीव सिद्ध अनाहारक एकोनत्रिंशत्तम उपयोग पद क- उपयोग के दो भेद ख- साकारोपयोग के आठ भेद ग- अनाकारोपयोग के चार भेद चौवीस दण्डक में साकारोपयोग और अनाकारोपयोग का कथन त्रिंशत्तम पश्यता पद क- पश्यता के दो भेद ख- साकार पश्यता के ६ भेद ग- अनाकार पश्यता के तीन भेद १ 1. वर्तमान काल विषयक और त्रिकाल विषयक स्पष्ट-अस्पष्ट ज्ञान दर्शन २. त्रिकाल विषयक स्पष्ट ज्ञान-दर्शन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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