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________________ प्रज्ञापना-सूची ६५६ पद १७ सूत्र ३३. सप्तदसम लेश्या पद प्रथम उद्देशक सात अधिकारों के नाम १-११ चौवीस दण्डक में सात अधिकारों का कथन' द्वितीय उद्देशक १२ ६ लेश्याओं के नाम चौवीस दण्डकों में ६ लेश्याओं का कथन १४-२२ ६ लेश्याओं की अपेक्षा चौवीस दण्डक के जीवों का अल्प बहुत्व २३-२५ चौवीस दण्डक में ६ लेश्या की अपेक्षा से अल्प ऋद्धिक और महद्धिकों का अल्प-बहुत्व तृतीय उद्देशक २६ क- चौवीस दण्डक में उत्पत्ति ख- उद्वर्तन २७-२८ ६ लेश्याओं की अपेक्षा से चौवीस दण्डक में उत्पत्ति और उद्वर्तन. लेश्याओं की अपेक्षा से उदाहरणपूर्वक नै रयिकों के अवधि ज्ञान का क्षेत्र ३० ६ लेश्या वाले जीवों में पांच ज्ञान का कथन चतुर्थ उद्देशक पन्द्रह अधिकारों के नाम ३१-३३ क- ६ लेश्याओं के नाम २६ १. सात अधिकारों में से केवल एक लेश्या अधिकार का इस पद से संबंध है. शेष अाहार-शरीर-उच्छ्वास, कर्म, वर्ण वेदना, क्रिया और श्रायु अन्य पदों में कथन किया जाता तो संगत प्रतीत होता. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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