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________________ प्रज्ञापना-सूची ६५५ पद १६ सूत्र १४ प्रतिबिम्ब दर्शन कांच आदि में प्रतिबिंब का दर्शन श्राकाश से स्पर्श क- संकुचित और विस्तृत वस्त्र का आकाश प्रदेशों से स्पर्श ख- खड़े या पड़े स्तंभ का आकाश प्रदेशों से स्पर्श क- धर्मास्तिकाय अादि से लोक का स्पर्श ख. धर्मास्तिकाय आदि से जम्बूद्वीप-यावत्-स्वयंभूरमण समुद्र का स्पर्श २२ क- लोक का धर्मास्तिकाय आदि से स्पर्श ख- लोक का स्वरूप द्वितीय उद्देशक बारह अधिकारों के नाम १-३५ चौवीस दण्डक में बारह अधिकारों का कथन षड् दसम प्रयोग प्रद प्रयोग के पन्द्रह भेद २ चौवीस दण्डक में पन्द्रह प्रयोग ३-५ चौवीस दण्डक में पन्द्रह प्रयोगों के विभिन्न अंग गति प्रवाद क- गति प्रवाद के पांच भेद ख- प्रयोग गति के पन्द्रह भेद ग- चौवीस दण्डक में प्रयोग गति के पन्द्रह भेदों का कथन ततगति की व्याख्या बंधन छेदन गति की व्याख्या ६-१३ उपपात गति के भेद प्रभेद विहायो गति के सतरह भेद प्रत्येक भेद की व्याख्या और भेद-प्रभेद was a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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