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________________ पद ६ सूत्र ४६ ६४७ प्रज्ञापना-सूची चौवीस दण्डकों का उद्वर्तन विरहकाल तृतीय सान्तर-निरन्तर उपपात उद्वर्तन द्वार चार गतियों में सान्तर-निरन्तर उपपात सिद्धों में चौवीस दण्डकों में सान्तर-निरन्तर उपपात सिद्धों में , १८ चौवीस दण्डकों में सान्तर-निरन्तर उद्वर्तन चतुर्थ एक समय में उपपात-उद्वर्तन द्वार १६-२१ चौवीस दण्डकों में एक समय में उपपात २२ सिद्धों २३ चौवीस दण्डकों में ऐक समय में उतन पंचम प्रागति द्वार २४-४० चौवीस दण्डकों में आगति [कहीं से आकर उत्पन्न होना] षष्ठ गति द्वार ४१-४४ चौवीस दण्डकों से गति [कहां उत्पन्न होना] सप्तम परभवायुबंध द्वार ४५-४६ चौवीस दण्डकों में परभव के आयू-बंध की अवधि अष्टम अायुबंध अाकर्ष२ द्वार ४७ क- आयुबंध के ६ भेद ख- चौवीस दण्डकों में ६ प्रकार का आयुबंध सर्वजीवों के षड्विध आयुबंध के आकर्ष ४६ षड्विध आयुबन्ध के आकर्षों का अल्प-बहुत्व ........ .--- १. २३ वें २४ वें दण्डक में च्यवन विरहकाल २. श्रायुकर्म के दलिकों का खेंचना ४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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