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प्रज्ञापना-सूची
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पद ६सूत्र १०
एक प्रदेशावगाढ-यावत्-असंख्य प्रदेशावगाढ पुद्गल-पर्यायों
के अनन्त होने का हेतु २६ एक समय की स्थिति वाले यावत्-असंख्य समय की स्थिति
वाले पुद्गल-पर्यायों के अनन्त होने का हेतु एक गुण-यावत्-अनन्तगण वर्ण-गंध-रस-स्पर्श परिणत पुद्गल
पर्यायों के अनन्त होने का हेतु २८-३० हिप्रदेशिक-यावत-अनन्त प्रदेशिक स्कन्धों की अनन्त पर्याय
होने का हेतु जघन्य, उत्कृष्ट प्रदेशी स्कन्धों की अनन्त पर्यायें होने का हेतु जघन्य, उत्कृष्ट अवगाहना वाले पुद्गलों स्कन्धों की अनन्त पर्यायें होने का हेतु जघन्य, उत्कृष्ट स्थिति वाले पुद्गलों स्कन्धों की अनन्त पर्यायें होने का हेतु जघन्य, उत्कृष्ट वर्ण-गंध-रस-स्पर्श परिणत पुद्गल स्कंधों की. अनन्त पर्याय होने का हेतु
षष्ठ व्युत्क्रान्ति पद आठ द्वारों के नाम
प्रथम गति अपेक्षा उपपात-उद्वर्तन विरहकाल द्वार १ क- चार गति का उपपात-विरहकाल
ख- सिद्ध गति का , , २ चार गति का उद्वर्तन २-विरहकाल
द्वितीय दण्डकापेक्षा उपपात-उद्वर्तन विरहकाल द्वार ३-१० क- चौवीस दण्डकों का उपपात विरहकाल
ख- सिद्धों का
१. जन्म
२. मरण
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