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पद ५ सूत्र २४
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प्रज्ञापना-सूची ३ अपर्याप्त-पर्याप्त देव-देवियों की स्थिति
भवनवासी देव देवियों की स्थिति ८-१६ " पृथ्वीकाय-यावत्-तिर्यंच पंचेन्द्रियों की स्थिति २०
मनुष्यों की स्थिति २१
व्यन्तर देवों की स्थिति ज्योतिषी देवों की स्थिति
वैमानिक देवों की स्थिति पंचम विशेष पद पर्याय के दो भेद
जीव पर्यायों के अनन्त होने का हेतु ३-११ चौवीस दण्डकों में अनन्त पर्याय होने का कारण १२-२० क- जघन्य उत्कृष्ट अवगाहना वाले चौवीस दण्डकों में अनन्त
पर्याय होने का कारण ख- जघन्य उत्कृष्ठ स्थिति वाले चौवीस दण्डकों में अनन्त पर्यायें
होने का कारण ग- जघन्य उत्कृष्ट वर्ण गन्ध रस स्पर्श परिणत चौवीस दण्डक के
जीवों के अनन्त पर्याय होने का कारण घ- ज्ञान, अज्ञान और दर्शन सम्पन्न चौवीस दण्डक के जीवों के
__ अनन्त पर्यायें होने का कारण २१ अजीव पर्यायों के दो भेद २२ अरुपी अजीव पर्यायों के दस भेद क- रूपी अजीव पर्यायों के चार भेद
,, के अनन्त होने का कारण जघन्य उत्कृष्ट अवगाहना, स्थिति और वर्ण-गंध-रस-स्पर्श परिणत पुद्गल-पर्यायों के अनन्त होने का हेतु
ख.
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