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________________ प्रज्ञापना-सूची ६४४ पद ४ सूत्र २ ७५ २४ जीव द्वार ५६ जीव-यावत्-पर्यायों का अल्प-बहुत्व २५ क्षेत्र द्वार ६० अधोलक-यावत्-त्रैलोक्य में जीवों का अल्प-बहुत्व ६१-७४ अधोलोक-यावत्-त्रेलोक्य में गति, इन्द्रिय, और काय द्वारों का कथन २६ बन्ध द्वार आयु कर्म के बन्धक-यावत्-अनाकारोपयोगयुक्त जीवों का अल्प-बहुत्व २७पुद्गल द्वार ७६ क- क्षेत्र की अपेक्षा से अधोलोक में-यावत् त्रैलोक्य में पुद्गलों का अल्प-बहुत्व ख- दिशाओं की अपेक्षा से पुद्गल द्रव्यों का अल्प-बहुत्व ७७ संख्यात, असंख्यात और अनंत प्रदेशी पुद्गल स्कंधों का द्रव्य प्रदेश और द्रव्य-प्रदेशों की अपेक्षा से संयुक्त अल्प-बहुत्व संख्यात प्रदेशावगाढ-यावत्-असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गलों का द्रव्य-प्रदेशों की अपेक्षा से संयुक्त अल्प-बहुत्व, एक समय-यावत्-असंख्यात समय की स्थितिवाले पुद्गल का द्रव्य, प्रदेश और द्रव्य-प्रदेश की संयुक्त अपेक्षा से अल्प-बहुत्व २८ महादण्डक द्वार ८१ चौवीस दण्डकों का अल्प-बहुत्व ७८ चतुर्थ स्थितिपद १ क- नैरयिकों की स्थिति ख- अपर्याप्त नरयिकों की , ग. पर्याप्त नैरयिकों की , २ क- सात नरक के अपर्याप्त पर्याप्त नै रयिको की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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