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________________ यद ३ सूत्र ४५-५८ ६४३ प्रज्ञापना-सूची १३ संयत द्वार संयत-यावत्-नो संयतासंयत जीवों का अल्प-बहुत्व १४ उपयोग द्वार साकारोपयोगी और अनोपयोगी जीवों का अल्प-बहुत्व : १५ श्राहारक द्वार आहारक और अनाहारक जीवों का अल्प-बहुत्व १६ भाषक द्वार भाषक और अभाषक जीवों का अल्प-बहुत्व १७ परित्त द्वार परीत्त-यावत्-नो परीत्तापरीत्त जीवों का अल्प-बहुत्व १८ पर्याप्त द्वार पर्याप्त-यावत्-नो पर्याप्तन्नो अपर्याप्त जीवों का अल्प-बहुत्व १६ सूक्ष्म द्वार सूक्ष्म-यावत्-नो सूक्ष्म-नो बादर जीवों का अल्प-बहुत्व २० संज्ञी द्वार संज्ञी-यावत्-नो संज्ञी-नो असंज्ञी जीवों का अल्प-बहुत्व. २१ भव सिद्धिक द्वार भवसिद्धिक-यावत्-नो भवसिद्धिक-नो अभावसिद्धिक जीवों का अल्प-बहुत्व २२ अत्रिकाय द्वार द्रव्य अपेक्षा से धर्मास्तिकाय-यावत्-अद्धा समय का अल्प-बहुत्व प्रदेशों की अपेक्षा से इनका अल्प-बहुत्व द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा से इन प्रत्येक का अल्प-बहुत्व द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा से इनका संयुक्त अल्प-बहुत्व २३ चरम द्वार चरम और अचरम जीवों का अल्प-बहुत्व ५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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