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________________ .६४२ २८ له الله الله له سه ره سه प्रज्ञापना-सूची पद ३ सूत्र २७-४४ २७ इनके अपर्याप्तों का अल्प-बहुत्व इनके पर्याप्तों का अल्प-बहुत्व इन प्रत्येक के पर्याप्तों-अपर्याप्तों का अल्प-बहुत्व इनके पर्याप्तों अपर्याप्तों का संयुक्त अल्प-बहुत्व सूक्ष्म पृथ्वीकायिक-यावत्-सूक्ष्म निगोदों तथा बादर पृथ्वी कायिकों-यावत्-बादर त्रसकायिकों का अल्प-बहुत्व इनके अपर्याप्तों का अल्प-बहुत्व इनके पर्याप्तों का , इन प्रत्येक के पर्याप्तों-अपर्याप्तों का संयुक्त अल्प-बहुत्व इनके पर्याप्तों-अपर्याप्तों का संयुक्त अल्प-बहुत्व ५ योग द्वार ३६ सयोगी-यावत्-अयोगी जीवों का अल्प-बहुत्व ६ वेद द्वार सवेदी-यावत्-अवेदियों का अल्प-बहुत्व ७ कषाय द्वार सकषायी-यावत-अकषायी जीवों का अल्प-बहत्व ८ लेश्या द्वार सलेश्य-यावत्-अलेश्य जीवों का अल्प-बहुत्व ६ दृष्टि द्वार ४० सम्यग्दृष्टि-यावत्-मिश्रदृष्टि जीवों का अल्प-बहुत्व १० ज्ञान द्वार आभिनिबोधिक ज्ञानि-यावत्-केवल ज्ञानियों का अल्प-बहुत्व . ११ अज्ञान द्वार मति अज्ञानी-यावत्-विभंग ज्ञानी जीवों का अल्प-बहुत्व ज्ञानियों-अज्ञानियों का संयुक्त अल्प-बहुत्व १२ दर्शन द्वार ४४ चक्षुदर्शनी-यावत्-केवल दर्शनी जीवों का अल्प-बहुत्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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