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________________ ६३६ प्रज्ञापना- सूची ग- गाथा २,३-४ में द्वीपकुमार, दिशाकुमार उदधिकुमार स्तनितकुमार और अग्निकुमारों के भवनों की संख्या घ- गाथा ५ में सामानिक देवों और आत्मरक्षक देवों की संख्या ङ - गाथा ६ में दक्षिण के दस इन्द्रों के नाम "" च- गाथा ७ में उत्तर के पद २ सूत्र ३६-५३ छ- गाथा ८,६,१०,११ में भवनवासियों और उनके वस्त्रों के वर्ण व्यन्तरदेवों का वर्णन ३६-४१क- पर्याप्त अपर्याप्त ब्यन्तरदेवों के नगरों का वर्णन ख- सोलह व्यन्तरदेवों के नाम और उनके वैभव का वर्णन ग- व्यन्तरदेवों के दक्षिण-उत्तर के बत्तीस इन्द्रों के नाम ज्योतिषी देवों का वर्णन ४२ क- पर्याप्त - अपर्याप्त ज्योतिष्क देवों के स्थान ख- इनके विमानों का वर्णन ग- नवग्रहों के नाम घ- अट्ठावीस नक्षत्र ङ - चन्द्र-सूर्य इन्द्र. और इनका वैभव वैमानिक देवों का वर्णन ४३ क- पर्याप्त - अपर्याप्त देवों का वर्णन व- बारह देवलोकों के नाम ग- इनके सर्वविमानों की संख्या घ- इनके मुकुट चिन्हों के नाम ४४-५३ क- सौधर्म-यावत् अच्युतकल्प के विमानों का वर्णन - प्रत्येक कल्लों में पाँच प्रमुख विमान ग- सौधर्मेन्द्र के कुछ नाम - सौधर्मेन्द्र दक्षिणार्धलोक का अधिपति ङ- सौधर्मेन्द्र का वाहन च- ईशानेन्द्र के कतिपय नाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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