________________
प्रज्ञापना-सूची
६३८
पद २ सूत्र ३०-३८
३०
ख- असुरकुमारों के भवन ग- भवनों की रचना एवं महिमा घ- असुरकुमारों का वर्णन ङ- " का वैभव. एवं परिवार च- चमरेन्द्र और बलेन्द्र का वर्णन क- दक्षिण के पर्याप्त-अपर्याप्त असुरकुमारों के भवन ख- दक्षिण के असुरों के भवन ग- भवनों की रचना और महिमा घ- चमरेन्द्र का वर्णन ङ- भवनों की संख्या च- सामानिक देवों की संख्या
छ- आत्म रक्षक देवों की" ३१ क- उत्तर के पर्याप्त-अपर्याप्त असुरों के स्थान
ख- उत्तर के असुरों के भवन ग- भवनों की रचना और महिमा घ- बलेन्द्र का वर्णन ङ- भवनों की संख्या च- सामानिक देवों की" १ छ- अग्रमही षियों की"
ज - आत्मरक्षक देवों की संख्या ३२-३८क- नागकुमार-यावत्-स्तनितकुमारों के स्थान. भवन आदि का
वर्णन ख- गाथा १ में असुरकुमार, नागकुमार, सुवर्णकुमार और कुमारों
के भवनों की संख्या
१. त्रायस्त्रिशक, लोकपाल, परिषद्, सेना और सेनापतियो की संख्या
समस्त भवनेन्द्रों की समान हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org