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________________ पद २ सूत्र ८-१४ प्रज्ञापना-सूची घ. स्वस्थान की अपेक्षा पर्याप्त-अपर्याप्त सूक्ष्म तेजस्कायिकों के स्थान ८ क- पर्याप्त बादर वायुकायिकों के स्थान । ख- अधोलोक में पर्याप्त बादर वायुकायिकों के स्थान ग- ऊर्ध्वलोक में घ- तिर्यक्लोक में ङ- उत्पत्ति की अपेक्षा च- समुद्घात की अपेक्षा छ- स्वस्थान की अपेक्षा क- अपर्याप्त बादर वायुकायिकों के स्थान ख- उत्पत्ति की अपेक्षा अपर्याप्त बादर वायुकायिकों के स्थान ग- समुद्घात की अपेक्षा घ- स्वस्थान की अपेक्षा १० पर्याप्त अपर्याप्त सूक्ष्म वायुकायिकों के स्थान ११ क- पर्याप्त बादर वनस्पति कायिकों के स्थान ख- अधोलोक में पर्याप्त बादर बनस्पतिकायिकों के स्थान ग. उर्वलोक में घ. तिर्यग्लोक में ङ. उत्पत्ति की अपेक्षा च- समुद्घात की अपेक्षा छ- स्वस्थान की अपेक्षा क- अपर्याप्त बादर वनस्पति कायिकों के स्थान ख- उत्पत्ति की अपेक्षा अपर्याप्त बादर वनस्पतिकायिकों के स्थान ग- समुद्घात की अपेक्षा घ. स्वस्थान की अपेक्षा १३ पर्याप्त-अपर्याप्त सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों के स्थान १४ क- पर्याप्त-अपर्याप्त द्वीन्द्रियों के स्थान तीनलोक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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