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________________ -सूत्र २४०-२४२ जीवाभिगम-सूची " छ- निगोद जीव क-से-च तक के समान ज- द्रव्य की अपेक्षा से निगोद-क-से-च तक के समान झ- द्रव्य की अपेक्षा से निगोद जीव क-से-च तक के समान अ- प्रदेशों की अपेक्षा से निगोद क-से-च तक के समान ट- प्रदेशों को अपेक्षा से निगोद जीव क-से-च तक के समान ठ- निगोद की अल्प-बहुत्व ड- निगोद जीवों की अल्प-बहुत्व षष्ठा सप्तविध जीव-प्रतिपत्ति २४० क- संसार स्थित जीव सात प्रकार के ख- सात प्रकार के संसारी जीवों की स्थिति ग- सात प्रकार के संसारी जीवों का संस्थिति काल अन्तर काल अल्प-बहुत्व सप्तमा अष्टविध जीव-प्रतिपत्ति २४१ क- संसार स्थित जीव आठ प्रकार के ख- आठ प्रकार के संसारी जीवों की स्थिति " का संस्थिति काल " का अन्तर काल " का अल्प-बहुत्व अष्टमा नवविध जीव-प्रतिपत्ति २४२ क- संसार स्थित जीव नो प्रकार के ख- नो प्रकार के संसारी जीवों की स्थिति का संस्थिति का अन्तर काल का अल्प बहुत्व अर ' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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