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________________ الله الله mr m २३४ mm १३५ जीवाभिगम-सूची सूत्र २२७-२३६ ख- पृथ्वीकाय-यावत्-त्रसकाय के प्रत्येक के दो-दो भेद २२७ पृथ्वीकायिक-यावत्-त्रसकायिक जीवों की भिन्न २ स्थिति २२८ क- षटकायिक जीवों का भिन्न २ संस्थिति काल ख- षटकायिक जीवों का भिन्न २ अन्तर काल २२६ षटकायिक जीवों का अल्प बहत्व सूक्ष्म षट्कायिक जीवों की स्थिति सूक्ष्म षट्कायिक जीवों का संस्थिति काल २३२ अन्तर काल २३३ अल्प-बहुत्व बादर षट्कायिक जीवों की स्थिति का संस्थिति काल २६६ का अन्तर काल का अल्प-बहुत्व निगोद वर्णन २३८ क- निगोद दो प्रकार के ख- निगोदाश्रय ग- सूक्ष्म निगोदाश्रय घ- बादर निगोदाश्रय ङ. निगोद जीव च- सूक्ष्म निगोद जीव , छ- बादर निगोद जीव , २३६ क- अनन्त निगोद ख- पर्याप्त अपर्याप्त निगोद ग- अनन्त सूक्ष्म निगोद ध- पर्याप्त-अपर्याप्त सूक्ष्म निगोद ङ- अनन्त बादर निगोद च- पर्याप्त अपर्याप्त बादर निगोद २३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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