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________________ जीवाभिगम-सूची ६१२ सूत्र १६६-२०३ रत्नप्रभा के उपरिभाग से चन्द्र विमान अन्तर सर्वोपरितारे का ,, ङ- अधोवर्ती तारे से सूर्य विमान का अन्तर " चन्द्र विमान , सर्वोपरि तारे च- सूर्य विमान से चन्द्रविमान का अन्तर , सर्वोपरितारे का , छ- चन्द्र विमान से सर्वोपरि तारे का १६६ जम्बूद्वीप में सर्वाभ्यन्तर गति करने वाले नक्षत्र , सर्व बाह्य , सर्वोपरि , , सर्वअधो , १६७ क- चन्द्रविमान-यावत्-ताराविमान का संस्थान ख. चन्द्रविमान-यावत्-ताराविमानों का आयाम-विष्कम्भ परिधि और बाहल्य १६८ क- चन्द्रविमान का परिवहन करनेवाले देवों की संख्या तथा उनका विस्तृत वर्णन ख- सूर्यविमान का परिवहन करनेवाले देवों की संख्या ग- ग्रहविमानों का परिवहन करनेवाले देवों की संख्या घ- नक्षत्रविमानों का १६६ चन्द्रादि की एक-दूसरे से शीघ्रगति २०० ताराओं से चन्द्रपर्यन्त एक दूसरे से महधिक एक तारा से दूसरे तारे का अन्तर २०२ क- चन्द्र की अग्र महीषियाँ ख- अग्रमहीषियों की विकुर्वणा शक्ति २०३ सुधर्मा सभा के माणवक चैत्यस्तम्भ में स्थित जिन अस्थियों का चन्द्र द्वारा सन्मान २०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary:org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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