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________________ सूत्र १६३-१६५ ६०१ जीवाभिगम-सूची ग- चन्द्रद्वीप का आयाम-विष्कम्भ घ- ज्योतिषी देवों का क्रीड़ा स्थल ङ- प्रासादावतंसक का आयाम-विष्कम्भ च- मणिपीठिका का परिमाण छ- चन्द्रद्वीप नाम का हेतु, चन्द्र देव, चन्द्रा राजधानी जम्बूद्वीप के सूर्य और उनके सूर्यद्वीपों का वर्णन क- सूर्य द्वीप का स्थान ख- " का आयाम-विष्कम्भ, और परिधि ग- पद्मवर वेदिका, वनखण्ड, प्रासादावतंसक, मणिपीठिका घ- सूर्यद्वीप नाम का हेतु, सूर्य उत्पल, सूर्यदेव, सूर्या राजधानी लवण समुद्र के ग्राभ्यन्तर चन्द्र, सूर्य और उनके चन्द्र सूर्य द्वीपों का वर्णन १६३ क- चन्द्र द्वीपों के स्थान आदि [जम्बू के चन्द्रद्वीप के समान वर्णन] ख- सूर्य द्वीपों के स्थान आदि [जम्बू के सूर्यद्वीप के समान वर्णन ग- लवण समुद्र के बाह्य चन्द्र, सूर्य और उनके चन्द्र सूर्य द्वीप धातकीखण्ड के चन्द्र सूर्य और उनके चन्द्र सूर्य द्वीप :१६४ क- चन्द्रद्वीपों के स्थान आदि ख- सूर्य द्वीपों के स्थान आदि ग- चन्द्रद्वीपों के स्थान आदि घ- सूर्यद्वीपों के स्थान आदि १६५ कालोद समुद्र के चन्द्र सूर्य और उनके चन्द्र सूर्य द्वीप क- चन्द्र द्वीपों के स्थान आदि ख- सूर्य द्वीप स्थान आदि पुष्कर वर द्वीप के चन्द्र सूर्य और उनके चन्द्र सूर्यद्वीप ग- चन्द्र द्वीपों के स्थान आदि घ- सूर्य द्वीपों के स्यान आदि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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