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________________ जीवाभिगमसूची ५८४ सूत्र ६७-६८ झ- गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय योनिक जीव दो प्रकार के ब- स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के ट- चतुस्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के ठ- परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के ड- उरग परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के ढ- भुजग परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के ण- खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के त- समूछिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के थ- गर्भज खेचर , द- खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचों की तीन प्रकार की योनियां ध- अण्डज तीन प्रकार के न- पोतज , प- संछिम एक प्रकार का ६७ क- खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के इग्यारह द्वार--लेश्या १, दृष्टि २, ज्ञानी-अज्ञानी ३, योग ४, उपयोग ५, उत्पत्ति ६, स्थिति ७, समुद्घात ८, मरण ६, उद्वर्तन १०, कुल कोडी ११ ख- भुजग परिसर्प की तीन योनियाँ. लेश्या आदि इ ग्यारह द्वार ग- उरग परिसर्प की तीन योनियां, लेश्या आदि इग्यारह द्वार घ- चतुष्पद स्थल चर तीन प्रकार के ङ- जरायुज स्थलचर तीन प्रकार के. इनके लेश्या आदि इग्यारह द्वार च- जलचरों के भेद और लेश्या आदि इग्याह द्वार - छ- चतुरिन्द्रियों की कुल कोटी त्रीन्द्रियों की , द्वीन्द्रियों की , १८ क- गंधाङ्ग सात प्रकार का 'ख- पुष्पों की कुल कोटी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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