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________________ सूत्र ६०-६६ ५८३ जीवाभिगम-सूची झ- नारकीय उष्ण वेदना का वर्णन ज- , तृषा वेदना का वर्णन ट- मानवलोक की उष्णता से नारकीय उष्णता की तुलना ठ- नारकीय शीतवेदना का वर्णन ण- मानवलोक की शीत से नारकीय शीत की तुलना ६० सात नरकों में नैरयिकों की स्थिति ६१ सातों नरकों से नैरयिकों का उद्वर्तन व अन्यत्र उत्पत्ति १२ क- सात नरकों में पृथ्वी का स्पर्श ख- , पानी , ग- सात नरक एक दूसरे से महान् सात नरकों के पृथ्वीकाय-यावत्-वनस्पतिकायों में सर्व जीवों की उत्पत्ति पृथ्वीकाय-यावत्-वनस्पतिकाय में उत्पन्न जीवों की वेदना तृतीय नैरयिक उद्देशक ६५ क- नैरयिकों का अनिष्ट पूदगल परिणमन ख- ग्यारह गाथाओं में नैरयिकों का संक्षिप्त वर्णन प्रथम तिर्यंच योनिक जीव उद्देशक ६६ क- तियंच योनिक जीव पांच प्रकार के ख- एकेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव पांच प्रकार के ग- पृथ्वीकाय एकेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के घ. सूक्ष्म पृथ्वीकाय एकेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के ङ- बादर पृथ्वीकाय एकेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव-यावत्-चतुर न्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के च- पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव तीन प्रकार के छ- जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के ज- संमूछिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव दो प्रकार के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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