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________________ जीवाभिगम-सूची ५८२ सूत्र ८६-८६ ८६ क- सात नरकों में चार गति की अपेक्षा से गति-आगति ख- सात नरकों में एक समय में जीवों की उत्पत्ति ग- सात नरकों का जीवों से सर्वथा रिक्त न होना घ- सात नरकों में नैरयिकों की अवगाहना दो प्रकार की ८७ क- सात नरकों के नैरयिकों में संहननों का अभाव. पुद्गलों की अशुभ परिणति ख- सात नरकों के नैरयिकों का संस्थान दो प्रकार का ग- सात नरकों में नैरयिकों के शरीरों का वर्ण , , , की गंध का स्पर्श ८८- क- सात नरकों में नैरयिकों के श्वासोच्छ्वास के पुद्गल के आहार के पुद्गल , की लेश्याएं , के ज्ञान , के अज्ञान सात नरकों में न रयिकों के योग उपयोग झ- " अवधिज्ञान का प्रमाण अ- , , समुद्घात ८६ क- सात नरकों में क्षुधा पिपासा की वेदना ख- , नैरयिकों की विकुर्वणा ग- शीतोष्ण वेदना घ- नारकीय जीवन का वर्णन ङ- तमस्तमा के पांच नरकावासों के नाम च- तमस्तमा में पांच महापुरुषों की उत्पत्ति छ- " नैरयिकों का वर्ण नैरयिकों की वेदना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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