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________________ सूत्र ८०-२५ जीवाभिगम-सूची घ- ". ख- प्रत्येक नरक काण्ड के चरमन्ताओं का अन्तर. ग. प्रत्येक नरक के घनोदधि के " घनवात के " तनवात के " अवकाशान्तर का अन्तर छ- प्रत्येक नरक के ऊपर के चरमान्त से अवकाशान्तर के नीचे के चरमान्त का अन्तर सात नरकों के अपेक्षाकृत बाहल्य की अल्प-बहुत्व द्वितीय नैरयिक उद्देशक ८१ क- सात पृथ्वीयों (नरकों) के नाम ख- सात पृथ्वीयों के नरकावासों के विभाग की सीमा ग- सात नरकों के अन्दर बाहर का आकार घ- सात नरकों में वेदना-यावत्-तमप्रभा ८२ क- रत्नप्रभा के नरकावासों का संस्थान दो प्रकार का ख- आवलिका प्रविष्ट नरकावासों का संस्थान तीन प्रकार का ग- आवलिका बाह्य नरकावासों के संस्थान अनेक प्रकार के घ. तमस्तमाप्रभा के नरकावासों का संस्थान दो प्रकार का .. ङ- सात नरकों के नरकावासों का बाहल्य च- सात नरकों के नरकावासों का आयाम-विष्कम्भ और परिधि दो प्रकार की ८३ क- सात नरकों का वर्ण ख- , , गंध ग- , , स्पर्श ८४ क- सात नरकों की महानता ख- देवता की दिव्यगति से नरकों की महानता का माप ८५ क- सात नरकों की पौद्गलिक रचना ख- सात नरक शास्वत-अशास्वत ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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