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सूत्र ६३-६७
राज प्र० सूची
से आकर पाप-पुण्य का फल कथन. देह और आत्मा की भिन्नता
का हेतु स्वीकार करना झ- केशी कुमार श्रमण द्वारा नरक से आने में बाधक चार कारणों
__ का सहेतुक कथन ६३ स्वर्ग से आने में बाधक चार कारणों का सहेतुक कथन ६४ क- देह और आत्मा की अभिन्नता के सम्बन्ध में राजा प्रदेशी
द्वारा दिया गया लोह कभी में बन्द चोर की मृत्यु का उदारहण ख- देह और आत्मा की भिन्नता सिद्ध करने के लिये केशी कुमार
श्रमण द्वारा दिया गया-कूटागार शाला से आने वाली वाद्यध्वनि
का उदाहरण. ग- देह और आत्मा की अभिन्नता के सम्बन्ध में राजा प्रदेशी द्वारा
दिया गया लोह कुभी में बन्द चोर के मृत शरीर में कृमियों
की उत्पत्ति का उदाहरण घ. देह और आत्मा को भिन्न सिद्ध करने के लिये केशी कुमार
श्रमण द्वारा दिया गया संतप्त लोह गोलक में अग्नि प्रवेश का
उदाहरण. ६५ क- देह और आत्मा की अभिन्नता के सम्बन्ध में राजा प्रदेशी का
दिया हुआ तरुण और बालक द्वारा लक्ष्यवेधन की असमानता
का उदाहरण ख- देहात्मा की भिन्नता के सम्बन्ध में केशीकुमार श्रमण का दिया
हुआ-नवीन और प्राचीन धनुष का उदाहरण. ६६ क- राजा प्रदेशी की ओर से दिया गया वृद्ध और युवा के असमान
लोह भारवहन का उदाहरण. ख- केशीकुमार श्रमण की ओर से दिया गया नवीन और प्राचीन
कावड़ से भार वहन का उदाहरण ६७ क- राजा प्रदेशी की ओर से जीवित और मृत चोर को तोलने का
उदाहरण
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