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राज प्र० सूची
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सूत्र ६८-७२
ख- केशी कुमार श्रमण की ओर से खाली और हवा से भरी हुई मशक के तोलने का उदाहरण
६८ क - राजा प्रदेशी की ओर से चोर के छोटे-छोटे टुकड़े करके जीव को देखने के लिये किए गये प्रयत्न का उदाहरण
ख- केशी कुमारभ्रमण की ओर से अरणी काष्ठ को खण्ड-खण्ड़ करके अग्नि देखने के लिये प्रयत्न करने वाले कठियारे का उदाहरण
६६ क - केशी कुमार श्रमण द्वारा कहे गये कठोर वचनों की युक्तता के सम्बन्ध में प्रदेशी का प्रश्न
ख- केशी कुमार श्रमण द्वारा चार परिषदाओं और उनके अपराधियों के दण्ड-विधान का ज्ञापन.
ग- चार प्रकार के व्यवहारियों का प्ररूपण. राजा प्रदेशी की व्यवहारिकता.
७० क- जीव को कर कंकणवत् प्रत्यक्ष दिखाने के लिये प्रदेशी की केशी कुमारश्रमण से प्रार्थना
ख- राजो प्रदेशी से वायु को हस्तामलकवत् दिखाने के लिये केशी कुमारश्रमण का कथन
ग- सवर्श के लिये दस स्थानों की पूर्ण जानकारी की शक्यता और सर्वज्ञ के लिये अशक्यता का कथन
७१ क- हाथी और कुथुवे का जीव समान होने के संबंध में प्रदेशी का
प्रश्न
ख- आवरणानुसार दीपक के प्रकाश का संकोच विकाश होने के समान हाथी और कुंथुवे के जीव की समानता का केशी श्रमण द्वारा प्रतिपादन
७२ क- प्रदेशी का परंम्परागत मान्यता से मोह
ख- केशी कुमारभ्रमण द्वारा प्रतिपादित लोह वाणिये के रूपक से मोह का निवारण
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