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________________ सूत्र ३६-४५ ५५८ राज प्र० सूची ४० ३६ क- सूर्याभ का संकल्प ख- सामानिक देवों द्वारा सूर्याभ के कर्तव्य का निर्देश क- सूर्याभ का स्नान और अभिषेक का विस्तृत वर्णन ख- सूर्याभ विमान की सजावट ग- देवताओं का [चार प्रकार का वाद्य-वादन, गायन, नृत्य, अभि नय आदि घ- सामानिक देवों द्वारा सूर्याभ देव की शुभ कामना. ङ.- अलंकार सभा में सूर्याभ का शृंगार करना व्यवसाय सभा में सूर्याभ का पुस्तक वाचन ४२ क- सिद्धालय में जिन प्रतिमाओं की अर्चना, स्तुति पाठ, वंदना. ख- सिंहासन, अखाड़े आदि का प्रमार्जन. ग- चैत्यस्तूप की अर्चना. घ- जिन प्रतिमाओं की, चैत्य वृक्षों की और महेन्द्र ध्वज की अर्चना. ङ- चैत्य स्तम्भ का प्रमार्जन. जिन अस्थियों की अर्चना. च- बली विसर्जन छ- सामानिक देवों को विमान के अन्य सर्व अर्चनीय स्थानों की ___अर्चना का आदेश ज- सूर्याभ का सुधर्मा सभा में सिंहासनासीन होना. ४३ क- सूर्याभ के परिवार का यथा स्थान उपवेशन ख- आत्मरक्षकों का कर्तव्य पालन ४४ क- सूर्याभ की स्थिति ख- सामानिक देवों की स्थिति ४५ क- सूर्याभ के सम्बन्ध में गौतम की जिज्ञासाएं, दिव्य ऋद्धि की प्राप्ति का कारण ? ख- पूर्वभव के नाम, गोत्र व स्थान. ग- पूर्व भव के सत्कृत्य ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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