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________________ सूत्र ३८ राज प्र० सूची ख- सिद्धायतन का आयाम-विष्कम्भ और ऊँचाई ग- सिद्धायतन के मध्य भाग में एक मणिपीठिका, उसका आयाम विष्कम्भ और बाहल्य घ- मणिपीठिकापर एक देवछंदक, उसका आयाम-विष्कम्भ और उसकी ऊँचाई ङ- देवछंदकपर १०८ जिनप्रतिमाएँ, जिनप्रतिमाओं का वर्णन जिन प्रतिमाओं के पृष्ठभाग में छत्रधारी प्रतिमाएँ दोनों पार्श्व में चमरधारी प्रतिमाएँ अग्र भाग में दो-दो नाग भूत यक्ष आदि की प्रतिमाएँ जिन प्रतिमाओं के सामने १०८ घंट, कलश-यावत्-धूपकड़छूवे च- सिद्धायतन के ऊपर अष्ट मंगल आदि ३८ क- सिद्धायतन के उत्तर-पूर्व में एक उपपात सभा [सुधर्मा सभा के समान वर्णन ख- उपपात सभा के उत्तर-पूर्व में एक महाह्रद महाह्रद का आयाम-विष्कम्भ और उवध ग- ह्रद के उत्तर-पूर्व में एक अभिषेक सभा [सुधर्मा सभा के समान _वर्णन] घ- अभिषेक सभा के उत्तर-पूर्व में एक अलंकारिक सभा [सूधर्मा के समान वर्णन] ङ- अलंकार सभा के उत्तर-पूर्व में एक व्यवसाय सभा [उपपात सभा के समान वर्णन] च- व्यवसाय सभा में एक धर्मशास्त्रों का महापुस्तक रत्न. पुस्तक रत्न का वर्णन. व्यवसाय सभा पर अष्ट मंगल छ- व्यवसाय सभा के उत्तर-पूर्व में एक नन्दा पुष्करिणी. ज- नंदा पुष्करिणी से उत्तर-पूर्व में एक पाद पीठ सिंहासन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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