SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 581
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र २४ राज प्र० सूची च. नागदंतों के उपर नागदन्तों की पंक्तियाँ छ- नागदंतों पर लटकने वाले सुगन्धित धूप के छींके ज- द्वारों के दोनों ओर सोलह २ सालभंजिकाएँ झ- द्वारों के दोनों ओर सोलह २ जालियाँ घंटियाँ घटियों का मधुर स्वर अ- द्वारों के दोनों ओर सोलह २ वनमालाएँ ट- द्वारों के दोनों ओर दो, दो पगंठक- चबूतरे पगंठकों का आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य प्रत्येक पगंठक पर एक एक प्रासाद प्रासादों की ऊंचाई, विष्कम्भ ठ- द्वारों के दोनों ओर सोलह २ तोरण प्रत्येक तोरण पर दो दो सालभंजिकाएं प्रत्येक तोरण के आगे हय-यावत्-वृषभ के समुदाय प्रत्येक तोरण के आगे पद्मलता-यावत्-श्यामलताएं प्रत्येक तोरण के आगे दो प्रशस्त स्वस्तिक चन्दन कलश भृगार आदर्श काँच थाल पानी पात्र पीठिकाएं रत्नकरण्डक हय-यावत-वृषभ रत्न पुष्प चंगेरियां सिंहासन छत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy