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राज प्र० सूची
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सूत्र १६-२४ घ- आमलकल्पा के आम्रवन, शालवन चैत्य में सूर्याभ का पहँचनाः ङ- यान विमान से सूर्याभ का सपरिवार बाहर आना च- भ० महावीर को सविधि वंदन करना छ- भ० महावीर को अपना परिचय देना
भ० महावीर का सूर्याभ को देव' कृत्यों का निर्देश २० सूर्याभ का सविनय भगवान् के सम्मुख उपस्थित रहना
भ० महावीर का सूर्याभ परिषद् में धर्म प्रवचन
भ० महावीर से सूर्याभ देवके अपने सम्बन्ध में कतिपय प्रश्न कमैं भवसिद्धिक. सम्यक्दृष्टि, परित्त संसारी, सुलभ बोधि, आरा
धक और चरिम हूँ या इससे विपरीत? ख- भ० महावीर द्वारा स्पष्टीकरण २३ क- भगवान् के ज्ञान की महिमा करना
ख- गौतमादि श्रमण निग्रंथों को बत्तीस प्रकार का दिव्य नृत्य ___ दिखाने के लिये भ० महावीर से आज्ञा प्राप्त करने का प्रयत्न
करना २४ क- महावीर का हाँ, ना न करना. मौन रहना ख- नृत्य दिखाने के लिये आज्ञा प्राप्ति का पुनः प्रयत्न. भ० महावीर
का पूर्ववत् मौन रहना. ग- सूर्याभ का सविधि वंदन घ- सूर्याभ का वैक्रेय समुद्घात ङ- नृत्य के लिये भूभाग का समीकरण च. नाट्यशाला-प्रेक्षाघर मण्डप की रचना छ- भ० के सम्मुख अपने सिंहासन पर बैठने की भगवान से आज्ञा
प्राप्त करना. . ज- सूर्याभ का दक्षिण भूजा प्रसारण. नृत्य के लिये सुसज्जित १०८
देव कुमारों का प्रकट होना.
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