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राज प्र० सूची
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सूत्र १०-१६.
आभियोगिक देव का वैक्रेय समुद्घात करना, सफाई करने के लिये तैयार होना
११ क- संवर्तक वायु की विकुर्वणा- रचना. एक तरुण कुशल व्यक्ति के समान संवर्तक वायु द्वारा कचरे की सफाई होना
ख- अभ्र, मेघ की रचना, एक योजन प्रदेश का सिंचन
ग- पुष्प बादल की रचना. एक योजन में पुष्पवर्षा.
घ- एक योजन के क्षेत्र को विविध प्रकार के धूपों से सुवासित
करना
ङ - भगवान् को वन्दना करके आभियोगिक देव का स्वस्थान जाना और सूर्याभ देव को सविनय सफाईकार्य से अवगत करना
१२ क- सूर्याभ देव का पैदल सेनाध्यक्ष को बुलाना
ख- आमलकल्पना चलने के लिये सभी देवों को शीघ्र उपस्थित होने की सुघोषा घंटा द्वारा सूचना दिलवाना.
१३ क- पैदल सेनाध्यक्ष का सुघोषा घंटा वादन
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ख- सभी देव देवियों को भगवद् वन्दना के लिये आह्वाहन सुसज्जित देव देवियों का सूर्याभ के सामने उपस्थित होना १५ आभियोगिक देव को दिव्य यानविमान की रचना का आदेश १६ क - दिव्य यानविमान की रचना का विस्तृत वर्णन ( शिल्प वर्णन )
ख- आठ मंगलों के नाम
ग- विविध चर्मों के स्पर्श से विमान के स्पर्श की तुलना घ- भित्तिचित्रों का परिचय
ङ - कृष्ण वर्ण के विविध पदार्थों से कृष्ण मणियों की तुलना च - नील वर्ण के अनेक पदार्थों से नील मणियों की तुलना छ- रक्तवर्ण के नानाविध द्रव्यों से लोहित मणियों की तुलना ज - पीत वर्ण के प्रशस्त पदार्थों से हारिद्र मणियों की तुलना झ - शुक्ल वर्ण के स्वच्छ द्रव्यों से श्वेत मणियों की तुलना ञ - सुगंधित द्रव्यों से मणियों के गन्ध की तुलना
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