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________________ राजप्रश्नीय-उपांग विषय-सूची आमलकल्पा नगरी वर्णन २ क- आम्रशाल वन वर्णन ___ ख- आम्रशाल वन चैत्य वर्णन ३ क- अशोक वृक्ष वर्णन ख- शिलापट्ट वर्णन (औपपातिक के समान) ४ क- श्वेत राजा. धारिणी देवी ख- भ० महावीर का समवसरण, धर्म परिषद्. धर्मकथा. राजा की पर्युपासना ५ क- सूर्याभ देव. सौधर्म कल्प. सूर्याभ विमान. सुधर्मा सभा. ख- चार हजार सामानिक देव. चार अनमहीषियाँ, तीन परिषद सात सेना. सात सेनापती. सोलह हजार आत्मरक्षक देव. ग. सूर्याभ का अवधिज्ञान से सम्पूर्ण जम्बूद्वीप को देखना. घ- भ० महावीर को आमलकल्पा के आम्रशाल वन चैत्य में देखना. ङ- सूर्याभदेव का स्वस्थान से भगवद् वंदन ६ भगवद् दर्शन के लिये आने का संकल्प. ७ भगवान् के आसपास का एक योजन प्रदेश साफ करके पुनः सूचित करने का आभियोगिक देव को आदेश. ८ क- आभयोगिक देव का (वैकेय समुद्घात. सोलह प्रकार के रत्नों के नाम) सुसज्जित होकर आम्रकल्पा आना ख- आम्रशाल वन चैत्य में विराजमान भगवान को वंदना करना ६ अभियोगिक देव को देवताओं के कर्तव्य का निर्देश. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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