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श्रु०२, अ० १२०१ सूत्र २
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आचारांग-सूची
६-१३
१४ उपसंहार
चतुर्थ आतङ्कित उद्देशक गाथांक भ० महावीर की तपश्चर्या १-२ भ० महावीर की मिताहार करने की प्रतिज्ञा और रोगों
की चिकित्सा न करवाने की प्रतिज्ञा भ० महावीर का अल्पभाषण
की शीत और ग्रीष्म ऋतु में ध्यान साधना ने आठ मास तक निरस अन्न ग्रहण किया था के विविध प्रकार के तप का त्रिकरण से पापकर्म-परित्याग
की पिण्डषणा " , के ध्यानासन १५-१६ " " का अप्रमत्त जीवन
उपसंहार द्वितीय श्रु तस्कंध
प्रथमा चूलिका प्रथम पिण्डैषणा अध्ययन
प्रथम उद्देशक सूत्रांक
सचित मिश्रित आहार लेने का निषेध असावधानी से लेने पर निरवद्य भूमि में डालने (परठने) का विधान सजीव (अप्रासुक) फलियों के लेने का निषेध निर्जीव (प्रासुक) " " विधान
4 भभ
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