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प्राचारांग-सूची
३० श्रु०२, अ०१ उ०१ सू० ६ क अपक्व या अर्धपक्व शालि आदि के लेने का निषेध ख
अनेक वार पक्व या तीन वार पक्ब " विधान भिक्षा समय की प्रवेश विधि शौचभूमि में , , स्वाध्याय भूमि में , , ग्रामानुग्राम विहार की विधि भिक्षु अथवा भिक्षुणी अन्यतीथिक को और गृहस्थ को आहार न दे और न दिलाए पारिहारिक-अपारिहारिक को आहार न दे और न दिलाए एक स्वधर्मी के निमित्त बने हुए (औद्देशिक) आहार लेने का निषेध अनेक स्वधर्मियों के , " " लेने का निषेध एक स्वमिनी के लेने का निषेध अनेक स्वमिनियों के , " " लेने का निषेध श्रमणादि को गिनकर बनाये हुए (औद्देशिक) आहार के लेने का निषेध पुरुषान्तर कृत (अन्य पुरुष सेवित) आदि होनेपर लेने
का विधान ८ क श्रमणादि को गिने बिना बनाये हुए (औद्देशिक) आहार
के लेने का निषेध पुरुषान्तर कृत (अन्य पुरुषसे वित) आदि होनेपर लेने का विधान भिक्षु अथवा भिक्षुणी का नित्यपिण्ड, अग्र पिण्ड, अर्ध
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