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________________ आचारांग-सूची २८ श्रु०१, अ०६. उ०३ गाथा१३ भ० महावीर द्वारा पुनर्जन्म का प्ररूपण , , , आधाकर्म आहार का त्याग , , , पर (गृहस्थ) के वस्त्र और पर (गृहस्थ) के पात्रका त्याग ,, ,, परिमित आहार ग्रहण एवं खाज खुजलाने का त्याग ,, ,, की इर्या (विहार-विधि) , , ,, द्वारा तेरह मास पश्चात् देव-दूष्य वस्त्र का परित्याग २३ उपसंहार द्वितीय शय्या उद्देशक गाथांक १- ३ भ० महावीर का विविध वसतियों में विहार ४ , , की तेरह वर्ष पर्यंत साधना ५-६ , , के निद्रात्याग ,, , के सादि का उपसर्ग ,, , को चोर-जार आदि पुरुषों द्वारा उपसर्ग , , का शीत परीषह सहन करना १६ उपसंहार तृतीय परीषह उद्देशक गाथांक १ भ० महावीर के तृणस्पर्श आदि परीषह २ , , का लाट देश के वज्रभूमि और शुभ्रभूमि में विहार ३-१३ , , के (लाट देश में) उपसर्ग, भगवान को युद्ध के मोर्चेपर स्थित हाथी की उपमा, (दुष्टजनों को कंटक की उपमा, ग्राम-कंटक) KGA KE १ Jain Education International For Private & Personal Use Only . www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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