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श्रु०१, अ०६, उ०१ गाथा १२ २७
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सूत्र संख्या ४
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गाथा १-२५ भक्त परिज्ञा, इंगित और पादपोपमरण की विधि
४
गाथांक प्रथम चर्या उद्देशक
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५
६
७- १०
११
१२
१३
१४-१६
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वैयावृत्य के चारभांगे पादपोपगमन मरण की विधि
नवम उपधान श्रुत अध्ययन
अष्टम भक्त, इंगित, पादपोपगमन मरण उद्देशक
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दीक्षा के अनन्तर भ० महावीर का हेमन्त ऋतु में विहार भ० महावीर का देवदूष्यवस्त्र धारण पूर्व तीर्थंकरों का अनु
सरण मात्र था
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भ० महावीर को चार मास पर्यन्त भ्रमर आदि जन्तुओं का उपसर्ग रहा
भ० के स्कंध पर तेरह मास देवदृष्य वस्त्र रहा, पश्चात् वे अचेलक हो गये
भ० महावीर को आक्रोश परीषह एवं वध परीषह हुवा
भ० महावीर को स्त्रियों के द्वारा अनेक उपसर्ग हुए भ० महावीर का मौन विहार
भ० महावीर ने दो वर्ष पूर्व ही सचित्तका त्याग कर दिया था भ० महावीर ने छ काय के आरंभ का परित्याग कर दिया था भ० महावीर द्वारा पुनर्जन्म का प्ररूपण
कर्म सिद्धान्त का प्रतिपादन
अहिंसा का आचरण और अब्रह्मका परित्याग
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आचारांग सूची
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