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आचारांग-सूची
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श्रु०१, अ०८. उ०७ सू०२२०
ग अचेलक बने २१० क उपकरण लाघव तपश्चर्या है
ख सचेल-अचेल अवस्थामें समत्त्व रखे २११ असह्य शीतादिका उपसर्ग होनेपर वैहानस-मरण मरे सूत्र संख्या ।
पंचम ग्लान-भुक्त-परिज्ञा उद्देशक २१२ क दो वस्त्र और एक पात्रधारी श्रमण का आचार
पूर्वोक्तं सूत्र के समान २१३ क अस्वस्थ एवं अशक्त होनेपर भी अभिहृत आहारादि न ले
वैयावृत्य का अभिग्रह ग वैयावृत्य (सेवा) के चार भांगे
घ मरणपर्यंत अभिग्रह का दृढ़ता से पालन करे सूत्र संख्या २
षष्ठ एकत्व भावना इंगित मरण उद्देशक २१४ एक वस्त्र और एकपात्रधारी श्रमण का आचार २१५ पूर्वोक्त सूत्र २१० के समान
अस्वादव्रत-तप
अस्वस्थ एवं अति अशक्त होने पर "इंगित मरण" से मरण २१८
"इंगित मरण" का महत्व सूत्र संख्या २
सप्तम पडिमा पादपोपगमन उद्देशक २१६ अचेल परीषह और लज्जा परीषह न सहसके तो एक कटी
वस्त्र लेने का विधान २२० अचेल-तप
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