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________________ औपपातिक-सूची ५३४ सूत्र२१-२२ न- , , , लक्षण प- धर्मध्यान के चार भेद लक्षण भ- , चार आलम्बन की चार अनुप्रेक्षाएँ ध्यान के चार भेद ,, लक्षण य- , ____ , आलम्बन , अनुप्रेक्षाएँ व. व्युत्सर्ग के दो भेद श- द्रव्य व्युत्सर्ग के चार भेद ष- भाव व्युत्सर्ग के तीन भेद स- कषाय व्युत्सर्ग के चार भेद ह- संसार व्युत्सर्ग के चार भेद क्ष- कर्म व्युत्सर्ग के आठ भेद भ० महावीर के अन्तेवासी क- अंतेवासियों का श्रुतज्ञान ख- की चार प्रकार की धर्मकथाएं ग- , ,, ध्यान साधना घ- , ,, की संसार सागर पारगामिता संसार सागर का शब्द चित्र ङ- अन्तेवासियों की स्थिति मर्यादा भ० महावीर की प्रवचन परिषद् में असुरकुमार देवों का आगमन २२ क- असुरकुमारों की आकृति ख- , की वय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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