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________________ सूत्र २३-२७ ५३५ औपपातिक-सूची ग- असुरकुमारों के चिन्ह घ- के वस्त्राभूषण ङ- के विलेपन च- , की दिव्य उपलब्धियाँ छ- भगवान को वन्दना २३ क- भ० महावीर की प्रवचन परिषद में नाग आदि नव प्रकार के भवनवासी देवों का आगमन ख- भवनवासी देवों के क्रमशः मुकुट चिन्ह २४ क- भ० महावीर की प्रवचन परिषद में व्यन्तर देवों का आगमन ख- सोलह व्यन्तर देवों के नाम ग- व्यन्तर देवों का विनोदी जीवन घ- , के वस्त्राभूषण ङ- , के मुकुट चिन्ह भ० महावीर की धर्मकथा में ज्योतिषी देवों का आगमन २५ क- नव ग्रहों के नाम ख- अट्ठावीस नक्षत्र ग- ज्योतिषी देवों के मुकुट चिन्ह ____ भ० महावीर की धर्मकथा में वैमानिक देवों का आमगन २६ क- बारह देव लोकों के नाम ख- वैमानीक देवों के विमानों के नाम ग- वैमानिक देवों के मुकुट चिन्ह , के शरीर का वर्ण , के वस्त्राभूषण भगवान को वंदना २७ क- भ० महावीर के पधारने की नगरी में चर्चा ख- धर्म परिषद् होना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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