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श्रु० १ अ०६
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नवम बृहस्पतिदत्त अध्ययन
[ ईर्ष्या-द्वेष का फल ]
३० क- उत्थानिका. रोहीडक नगर. पृथ्वी अवतंसक उद्यान. धरण यक्ष वैश्रमण दत्त राजा. श्रीदेवी. पुष्पनन्दी कुमार. दत्त गाथापति. कृष्ण श्री भार्या. देवदत्ता पुत्री
ख- भ० महावीर का समवसरण गौतम गणधर की भिक्षा चर्या राजमार्ग में एक स्त्री के सूली दण्ड का दृश्य देखना
ग- पूर्व भव पृच्छा. जम्बूद्वीप. भरत. सुप्रतिष्ठ नगर महसेन राजा. अन्तःपुर में धारिणी आदि एक हजार रानिताँ, सोहसेन राज कुमार. पाँच सौ राज्य कन्याओं से पाणिग्रहण. दहेज
घ- महसेन राजा की मृत्यु
ङ - सिंहसेन की एक श्यामा रानि में अत्यासक्ति, अन्य से विरक्ति. च - श्यामादेवी के प्रति अन्य रानियों का दुर्भाव
छ- प्राणरक्षा के लिये श्यामा का सिंहसेन से निवेदन सिंहसेन का आश्वासन
ज - कूटागार शाला का निर्माण ४६६ रानियों को कूटागार शाला में बन्द करके जला देना
भ सिंहसेन की पूर्णायु-मृत्यु-नरक गति
ञ - कृष्ण श्री की कुक्षि में सिंहसेन की आत्मा का आगमन पुत्रि रूप में जन्म, देवदत्ता नाम रखना
विपाक - सूची
ट- पुष्यनन्दी राजकुमार के लिये वैश्रमपादत्त राजा द्वारा देवदत्ता की याचना देवदत्ता से पुष्यनन्दी का विवाह
ठ- वैश्रमण राजा की मृत्यु. पुष्यनन्दी की मातृभक्ति
ड- देवदत्ता द्वारा श्री देवी के प्राणों का संहार. पुष्यनन्दी का देव दत्ता के लिये सूली भेदन का आदेश, पूर्णायु, मरण, भव भ्रमण
ढ गंगपुर में देवदत्ता की आत्मा का श्रेष्ठी के गृह में जन्म.
श्रमणो
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