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________________ श्रु०२ अ०५ सू०२६ प्रश्न०-सूच ङ- अवक्तव्य सत्य ' च- प्रशस्त सत्य बारह प्रकार की भाषा, सोलह प्रकार के वचन, २५ क- सत्य महाव्रत की पांच भावना असत्य बोलने के पांच कारण ख- द्वितीय संवर का उपसंहार तृतीय अस्तेय अध्ययन एक उद्देशक क- दत्त अनुज्ञात का स्वरूप ख- दत्त अनुज्ञात व्रत का विराधक ग- दत्त अनुज्ञात व्रत के आराधक घ. इस महाव्रत की पांच भावना ङ- तृतीय संवर का उपसंहार चतुर्थं ब्रह्मचर्य अध्ययन एक उद्देशक २७ क- ब्रह्मचर्य का स्वरूप ख- ब्रह्मचर्य की कुछ उपमायें ग- ब्रह्मचर्य का प्रभाव घ- ब्रह्मचारी के अकर्तव्य, अकृत्य छ- ब्रह्मचारी के कर्तव्य, कृत्य च- ब्रह्मचारी महाव्रत की पांचभावना छ. चतुर्थ संवर द्वार का उपसंहार पंचम अपरिग्रह अध्ययन एक उद्देशक २८ क- परिग्रह का स्वरूप ख- एक से लेकर तेतीस बोल का संकलन २६ क- संवरवृक्ष का रूपक ख- परिग्रह विरत के अकल्प्य कार्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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