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________________ प्रश्न०-सूची ५०८ श्रु० २ अ० २ सू०२४ पंचम परिग्रह अध्ययन-एक उद्देशक १७ परिग्रह का स्वरूप १८ परिग्रह के तीस नाम १६ परिग्रह संग्रह वृत्तिवाले २० क- परिग्रह का फल ख- पंचम अधर्म द्वार का उपसंहार द्वितीय संवर श्रुतस्कंध प्रथम अहिंसा अध्ययन एक उद्देशक २१ क- पांच संवर कथन प्रतिज्ञा ख- पांच संवर के नाम ग- सर्व प्रथम अहिंसा के सम्बन्ध में कथन घ- पांच संवरों का संक्षिप्त परिचय ङ. अहिंसा के ६० नाम २२ क- अहिंसा की कुछ उपमायें ख- अहिंसा के आराधक ग- अहिंसा के उपासकों के कुछ कर्त्तव्य घ- अहिंसा का स्वरूप २३ क- अहिंसा महाव्रत की पांच भावनायें ख- अहिंसा के साधक का अप्रमत्त जीवन ग- प्रथम संवर द्वार का उपसंहार द्वितीय सत्य अध्ययन एक उद्देशक २४ क- सत्य का स्वरूप ख- सत्य का प्रभाव ग- दस प्रकार का सत्य घ- सत्य की कुछ उपमायें For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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