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________________ उपासकदशा-सूची ४८१ अ० १० सू०२७३ २६८ ख- नंदिनी पिता का व्रतग्रहण ग- भ० महावीर का विहार क- पंदरहवें वर्ष में ज्येष्ठ पुत्र को गृहभार सौंपना ख- उपासक प्रतिमाओं की आराधना ग- बीस वर्ष का श्रमणोपासक जीवन घ- अरुणगव विमान में उपपात, महाविदेह में जन्म और निर्वाण २७० दशम सालिही पिता अध्ययन __ एक उद्देशक क- उत्थानिका-श्रावस्ती नगरी, कोष्ठक चैत्य, जितशत्रु राजा ख- सालिही पिता गृहस्थ, सम्पत्ति के तीन विभाग, चार व्रज, फाल्गुनी भार्या क- भ० महावीर का समवसरण ख- सालिही पिता का द्वादश व्रत ग्रहण करना ग- पंदहरवें वर्ष में जेष्ठ पुत्र को गृहभार सौंपना ध- उपासक प्रतिमाओं की आराधना, संलेखना ङ- अरुणकील विमान में देव होना, चार पल्य की स्थिति, __च्यवन, महाविदेह में जन्म और निर्वाण क- दसों श्रावको को पन्दरहवें वर्ष में विशिष्ट धर्म आरा धना का संकल्प ख- दसों श्रावकों का बीस वर्ष का श्रमणोपासक जीवन उपसंहार क- एक श्रुतस्कंध, दस अध्ययन, दस दिन में पठन ख- दो दिन में इस अंग का पूर्ण स्वाध्याय २७१ २७२ २७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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