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________________ अन्तकृद्दशाङ्ग में वर्णित तप मुक्तावली-तप १ से १५ तक तपश्चर्या, मध्य में एक-एक उपवास एक उपवास, १६ की तपश्चर्या, एक उपवास, १५ से एक तक तपश्चर्या प्रत्येक के मध्य में एक एक उपवास एक परिपाटी ११ मास १५ दिन तपश्चर्या के 8 मास १६ दिन । पारणा के ५६ दिन चार परिपाटी ३ वर्ष १० मास तपश्चर्या के ३ साल २ मास ४ दिन । पारणे के २३६ दिन रत्नावली-तप १-२-३ उपवास, ८ बेले, १ से १६ तपश्चर्या, ३४ बेले ८ बेले, १ से १६ तपश्चर्या, उपवास ३-२-१ । एक परिपाटी ४७२ दिन । तपश्चर्या ३८४ दिन, पारणा ८८ दिन चार परिपाटी ५ वर्ष, दो मास, २८ दिन । तपश्चर्या ४ साल, ३ माह, ६ दिन, पारणा ३५२ दिन कनकावली-तप १-२-३ उपवास, ८ तेले, १ से १६ तक तपश्चर्या प्रत्येक के मध्य में एक-एक उपवास ३४ तेले, १६ से एक तक तपश्चर्या प्रत्येक के मध्य में एक-एक उपवास ८ तेले, ३-२-१ उपवास एक परिपाटी-१ वर्ष, ५ मास, ६२ दिन तपश्चर्या १ वर्ष, २ मास, १४ दिन, पारणे के ८८ दिन चार परिपाटी-५ वर्ष, ६ मास, २६ दिन, पारणे के ३५२ दिन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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