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अ०७ सू० २२२
उपासक दशा-सूची
१८५- १८६ सद्दालपुत्र के मन में गोशालक के आने का संकल्प पैदा हुआ किन्तु दूसरे दिन भ० महावीर पधारे. धर्म कथा भ० महावीर की वंदना के लिये सद्दालपुत्र का अपनी अशोक वाटिका में गमन
सद्दालपुत्र को धर्मकथा सुनाना
भ० महावीर द्वारा सद्दालपुत्र को पूर्वदिन के देवागमन का वृतान्त सुनाना
भ० महावीर से कुभ्मकारापण में कुछ दिन के लिये ठहरने की सद्दालपुत्र की विनती
१९२-१६७ क- प्रत्यक्ष उदाहरणों से भगवान महावीर द्वारा नियतिवाद
का खण्डन
१८८
१८६-१६०
१६१
१८७
१६८-२०७
२०८
२०६-२१४
२१८
२१६
गोशालक के प्रति सद्दालपुत्र का सद्व्यवहार
२१५-२१७ क- भ० महावीर से विवाद करने के लिये सद्दालपुत्र की गोशालक को प्रेरणा
२२०
२२१-२२२
४७८
ख- सद्दालपुत्र को बोध
सद्दालपुत्र और अग्निमित्रा भार्या द्वारा द्वादश व्रत ग्रहण भ० महावीर का सहस्राम्रवन से बिहार
सद्दालपुत्र को पुन: आजीविकोपासक बनाने के लिये
गोशालक का प्रयत्न
ख- भ० महावीर के सामर्थ्य और अपने असामर्थ्य का गोशालक द्वारा सोदाहरण प्रतिपादन गोशालक का गमन
क- सद्दालपुत्र का चौदह वर्ष का श्रमणोपासक जीवन ख- पन्दरहवें वर्ष में परिवार से विरक्ति
सद्दालपुत्र की एक देवद्वारा परीक्षा
सर्ब पुत्रों के वध का दृश्य. सद्दालपुत्र की दृढता
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