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________________ अ०७ सू०१८४ ४७७ उपासक दशा-सूची . १६६-१८६ १७० १७१-१७२ १७३-१७४ वाद की प्रशंसा. भ० महावीर के पुरुषार्थवाद की अवज्ञा कुण्डकोलिक द्वारा नियतिवाद का परिहार. पुरुषार्थ का प्रतिपादन परास्त देव का गमन भ० महावीर का समवसरण. कुण्डकोलिक का धर्मश्रवण भ० महावीर द्वारा निर्गन्थियों के सामने कुण्डकोलिक की . प्रशंसा कुण्डकोलिक का स्वस्थान गमन. भगवान महावीर का विहार चौदह वर्ष का कुण्डकोलिक का श्रमणोपासक जीवन. पंदरहवें वर्ष में पारिवारिक मोह का त्याग. उपासक प्रतिमाओं की आराधना. संलेखना. अरुणध्वज विमान में देव. चार पल्य की स्थिति. च्यवन. महाविदेह में जन्म. निर्वाण. १७५ १७६ १७७ १७८ १७६ सप्तम सद्दाल पुत्र अध्ययन प्रथम उद्देशक उत्थानिका-पोलासपुर नगर. सहस्राम्रवन. जितशत्रु राजा. आजीविकोपासक सद्दालपुत्र कुम्भकार. सम्पत्ति के तीन विभाग. एक व्रज. अग्नि भार्या मिट्टी के बर्तनों की ५०० दुकानें सद्दालपुत्र द्वारा अशोक बाटिका में आजीविक धर्म की आराधना महामाहण की पर्युपासना के लिये एक देव की ओर से सद्दालपुत्र को प्रेरणा १८० १८१ १८२ १८३-१८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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