________________
अ०४ सू०५४
१३५-१४४
१४५
१४६
१४५
१४८
१४६
१५०-१५३
१५३
१५४
४७५
पिता का विचलित होना
माता द्वारा चुलिनी पिता को आश्वासन
चुलिनी पिता द्वारा प्रायश्चित ग्रहण
चुलिनी पिता द्वारा उपासक प्रतिमाओं की आराधना चुलिनी पिता की अन्तिम आराधना. एक मास की संलेखना. अरुणप्रभ विमान में देव होना. चार पल्य की स्थिति, च्यवन, महाविदेह में जन्म और निर्वाण
उपासक दशा - सूची
चतुर्थ सुरादेव अध्ययन प्रथम उद्देशक
क- उत्थानिका — वाराणसी नगरी, कोष्ठक चैत्य, जितशत्रु
राजा
ख- सुरादेव गाथापति सम्पति के तीन भाग, छ व्रज, धन्ना भार्या
ग- भ० महावीर का समवसरण द्वादश व्रत ग्रहण. कुटुम्ब निवृत्ति धर्माराधन
देव द्वारा सुरादेव की परीक्षा. तीनों पुत्रों के वध का दृश्य... सुरादेव की दृढता
देव द्वारा सोलह रोग उत्पन्न करने को धमकी से सुरादेव का विचलित होना
धन्ना भार्या द्वारा सुरादेव को सान्त्वना
Jain Education International
सुदेव का प्रायश्चित्त, परिवार से निवृत्ति, प्रतिमाओं की आराधना. संलेखना. अरुणकान्त विमान में देव होना. चार पत्य की स्थिति. च्यवन महाविदेह में जन्म और निर्वाण
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org