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________________ ज्ञाता०-सूची श्रु०२ व०४ ग- भ० गौतम द्वारा पूर्वभव पृच्छा. श्रावस्ती नगरी. कोष्टक चैत्य जितशत्रु राजा. शुंभा पुत्री. शेष पूर्ववत् द्वितीय निशुंभा अध्ययन तृतीय रंभा अध्ययन चतुर्थ निरंभा अध्ययन पंचम मदना अध्ययन ॥ उपसंहार ।। तृतीय धरणादि अग्रमहिषी वर्ग १५१ क- उत्थानिका प्रथम दूला अध्ययन ख- उत्थानिका- राजगृह, गुणशील चैत्य, भ० महावीर का समव सरण, प्रवचन, धरण अग्र महिषी इलादेवी का आगमन, वंदन, नृत्य प्रर्शन, गमन ग- पूर्वभव-वाराणसी नगरी, काम महावन चैत्य. दूल गाथापति दूलश्री भार्या, दूला पुत्री. भ० पार्श्वनाथ का समवसरण-यावत् शिव पद की प्राप्ति । उपसंहार द्वितीय कमा अध्ययन तृतीय सेतरा अध्ययन चतुर्थ सौदामनी अध्ययन पंचम इन्द्रा अध्ययन षष्ट धना अध्ययन वेणुदेव अग्रमहिषीयों के ६ अध्ययन-यावत्-घोष अग्रमहिषियों के ६ अध्ययन । सर्वयोग चौपन अध्ययन चतुर्थ भूतानंदादि अग्रमहिषी वर्ग १५२ क- उत्थानिका प्रथम रुचा अध्ययन ख- उत्थानिका, राजगृह, गुणशील चैत्य, भ. महावीर का समव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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